Friday, June 30, 2023

NAITAL

NANITAL

 

"झीलों का शहर नैनीताल''

 

 

नैनीताल भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह ग्रेट हिमालयन रेंज

की पादुकाओं पर विस्तृत एक झील के आस-पास बसा हुआ है। यह सुंदरता, प्राकृतिक स्थलों

और पर्यटन स्थलों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। चारों ओर पहाड़ों से घिरी इस छोटी जिले की

सुंदरता को देखकर इसे "ताल नगरी" या "झीलों का शहर" कहा जाता है।

 

 

नैनीताल की सबसे प्रमुख आकर्षणों में से एक है 'नैनी झील' जो उत्तराखंड की सबसे मशहूर

 झीलों में से एक है। यह झील एक सुंदर प्राकृतिक स्थल है जहां पर्यटक बोटिंग का आनंद ले

 सकते हैं। झील के आस-पास कई आदर्श घाट और बागों की गणना की जाती है, जहां पर्यटक

 शांति और सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।

 

 

इसके अलावा, नैनीताल में अन्य पर्यटन स्थलों में 'नैनी देवी मंदिर', 'तिफिन टोप', 'स्नो व्यू प्वाइंट',

 'एक्वारियम' और 'हानुमान गर्ह' शामिल हैं। नैनीताल का जलवायु पहाड़ी जलवायु है, जिसे सर्दी

 में ठंडक प्रदान करती है और गर्मियों में शीतलता देती है।

 

 

नैनीताल के आस-पास पहाड़ी जलवायु है, जो सर्दियों में ठंडक और गर्मियों में शीतलता प्रदान

करती है। यहां आप मधुर मौसम का आनंद ले सकते हैं और पर्यटन का आनंद उठा सकते हैं।

 इसके अलावा, नैनीताल में कई होटल, उपनिवेश, आश्रम और रेस्टोरेंट मौजूद हैं, जहां पर्यटक

आराम से ठहर सकते हैं और स्थानीय खाना स्वादिष्टता का आनंद ले सकते हैं।

 

 

नैनीताल पर्यटन के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है और यहां कई होटल, उपनिवेश, आश्रम और रेस्टोरेंट हैं

जहां आप अपने आरामदायक और आरामदायक रहने का आनंद ले सकते हैं।

 

 

यदि आप प्राकृतिक सुंदरता, शांति और पर्यटन का आनंद लेने के लिए एक सुरम्य पहाड़ी स्थान

खोज रहे हैं, तो नैनीताल आपके लिए एक आकर्षक स्थान हो सकता है।







MUST VISIT...

Tuesday, June 20, 2023

Neeb karoli baba ji ...

जय गुरूदेव..

NEEM KAROLI BABA


नीम करौरी बाबा; जिन्हें नीब करोरी बाबा या महाराजजी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय संत और आध्यात्मिक गुरु थे। उनका जन्म लक्ष्मी नारायण शर्मा के रूप में 11 सितंबर 1900 को उत्तर प्रदेश, भारत के अकबरपुर गांव में हुआ था। नीम करौरी बाबा को उनके गहन भक्ति, ज्ञान और सभी प्राणियों के प्रति निःस्वार्थ प्यार के लिए जाना जाता था। उन्होंने बहुत से आध्यात्मिक खोजकर्ताओं को प्रभावित किया, जिसमें 1960 और 1970 के दशक में अनेक पश्चिमी लोग भारत यात्रा करते थे ताकि वे आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।


नीम करौरी बाबा की शिक्षाओं का आधार प्रेम, सेवा और समर्पण के सिद्धांतों पर था। उन्होंने निःस्वार्थ सेवा (सेवा), परमेश्वर के प्रति भक्ति और परमेश्वर के नाम की जप (भक्ति) के महत्व को बल दिया। उनका विश्वास था कि सभी धर्मों का एकत्व है और उन्होंने अपने अनुयायों को सभी आध्यात्मिक मार्गों का सम्मान करने और सीखने की प्रेरणा दी।


नीम करौरी बाबा को उनकी सरलता और मितव्ययता के लिए जाना जाता था। वे अक्सर एक भ्रमणाचारी तपस्वी के रूप में जीवन यापन करते थे और अक्सर चमत्कार करते थे, जिसके कारण उन्हें महान संत का मान्यता प्राप्त हुई। कई लोग उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन लेने के लिए उनकी खोज करते थे, और उन्हें एक चिकित्सा और आध्यात्मिक चिकित्सा के स्रोत के रूप में मान्यता थी।


नीम करौरी बाबा के सबसे प्रसिद्ध शिष्यों में स्प्रिटुअल गुरु राम दास (पूर्व में रिचर्ड अल्पर्ट) शामिल हैं, जिन्होंने पश्चिमी दुनिया को उनकी शिक्षाओं की परिचय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राम दास ने नीम करौरी बाबा के अपने अनुभवों के बारे में कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें "बी हियर नाउ" शामिल है, जो एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पाठ की रूप में मान्यता प्राप्त हुई।


नीम करौरी बाबा का निधन 11 सितंबर 1973 को हनुमान जयंती के पवित्र हिन्दू त्योहार पर हुआ। उनकी शिक्षाएं और उनका विरासत आज भी प्रेरित करती हैं और उनके आश्रम भारत में आध्यात्मिक अभ्यास और सेवा के केंद्र के रूप में कार्य करते हैं। नीम करौरी बाबा को प्रिय संत के रूप में सम्मानित किया जाता है और उन्हें अनन्य प्रेम, करुणा और उनके संपर्क में उठाए गए आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए स्मरण किया जाता है। ...